शक्ति माताजी मंदिर, शनाला – मोरबी
21/06/2025
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मोरबी के पास शनाला गाँव में स्थित शक्ति माताजी का यह मंदिर लगभग 650 साल पुराना शक्तिपीठ है। यह मंदिर धार्मिक श्रद्धा, ऐतिहासिक विरासत और सांप्रदायिक सौहार्द्र का जीवंत उदाहरण है।

सोलंकी वंश के राजा हरपालदेव ने शक्ति माता से पाटड़ी गाँव में विवाह किया। उन्हें जो 2300 गाँव मिले थे, उसमें शनाला भी शामिल था। आशा जी और देव जी ने यहाँ जंगल में दिव्य प्रकाश देखकर माँ की मूर्ति की स्थापना की।
मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
मंदिर हिन्दू और मुस्लिम एकता का प्रतीक है। इसके पास स्थित दरगाह और वहाँ दीपक व धूप देने की परंपरा इसे सांप्रदायिक सद्भाव का स्थान बनाती है। शरद पूर्णिमा के अवसर पर विशेष हवन, पूजा और मेला आयोजित होता है जिसमें ज़ाला परिवार के लोग बड़ी संख्या में शामिल होते हैं।
1979 की मोरबी त्रासदी और चमत्कारी कुई
1979 में मोरबी डैम टूटने के बाद पानी की भारी कमी हो गई थी। ऐसे में मंदिर के पास स्थित “अखा कुई” से डीजल पंप के ज़रिए गाँव में पानी उपलब्ध कराया गया। आज भी यह कुई श्रद्धा का प्रतीक बनी हुई है।
लोग अब भी इस कुई से पानी भरकर इसे माता का आशीर्वाद मानते हैं।

यात्रा मार्ग और मार्गदर्शन
मोरबी से सिर्फ 18 किमी दूर स्थित शनाला गाँव तक आसानी से पहुँचा जा सकता है। प्राकृतिक दृश्य यात्रा को और भी रमणीय बना देते हैं। गूगल मैप से लोकेशन सटीक मिल जाती है।
शरद पूर्णिमा और नवरात्रि जैसे पर्वों पर विशेष आयोजन होते हैं, जिनमें भजन, प्रसाद और रात्रि प्रवास की व्यवस्था की जाती है।
भविष्य की योजनाएं
पंचायत और भक्तों द्वारा मंदिर परिसर में तालाब, यात्रियों के लिए शेड, और संगठित प्रवेश मार्ग जैसी सुविधाएँ विकसित की जा रही हैं।


