भिखुदान गढ़वी
11/05/2025
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भिखुदान गोविंदभाई गढ़वी गुजरात के प्रसिद्ध लोकगायक और लोकसाहित्य के प्रखर प्रतिनिधि हैं। उनका जन्म 19 सितंबर 1948 को गुजरात के केशोद तालुका के माणेकवाड़ा गांव में हुआ था। उन्होंने गुजरात के दायरा और लोकगीतों की परंपरा को जीवंत बनाए रखने में विशेष योगदान दिया है।

व्यक्तिगत जीवन
भिखुदान गढ़वी के परिवार में उनकी पत्नी गजराबा गढ़वी, तीन बेटियां (अंजना, मीना, हिरल) और एक पुत्र (भरतभाई) हैं। वे वर्तमान में जूनागढ़ में निवास करते हैं।
शैक्षणिक और संगीत की शुरुआत
भिखुदान गढ़वी ने 10 वर्ष की आयु में संगीत में कदम रखा और 20 वर्ष की आयु में अपनी पहली सार्वजनिक प्रस्तुति दी। उनके प्रेरणास्रोत झवेरचंद मेघाणी और दुला भाया काग थे।
संगीत और साहित्य यात्रा
उन्होंने 350 से अधिक ऑडियो एलबम जारी किए हैं, जिनमें "भाड़ाणु मकान" और "खानदानीनु खमीर" जैसी लोकप्रिय रचनाएं शामिल हैं। गुजराती साहित्य और संगीत को विश्वभर में पहचान दिलाने का उनका प्रयास सराहनीय है।
सम्मान और पुरस्कार
1] पद्मश्री (2016) :
पद्मश्री भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह सम्मान उन्हें लोकसाहित्य में उनके विशेष योगदान के लिए प्रदान किया गया।
2] संगीत नाटक अकादमी अवार्ड (2009) :
यह पुरस्कार भारतीय संगीत, नृत्य और नाटक के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए संगीत नाटक अकादमी द्वारा दिया जाता है। 2009 में, उन्हें इस सम्मान से नवाजा गया।
3] गुजरात गौरव अवार्ड :
गुजरात सरकार द्वारा राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में विशेष योगदान देने वाले व्यक्तियों को यह सम्मान प्रदान किया जाता है।
4] श्री दुला भाया काग अवार्ड (2009) :
यह पुरस्कार दुला भाया काग ट्रस्ट द्वारा साहित्य और लोककला में विशेष योगदान देने वालों को दिया जाता है। 2009 में, उन्हें इस प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित किया गया।
भिखुदान गढ़वी ने संयुक्त राज्य अमेरिका, यूके और इंडोनेशिया सहित कई देशों में अपने लोकगीतों की प्रस्तुति दी है। भिखुदान गढ़वी की कला केवल संगीत तक सीमित नहीं है, बल्कि वह गुजराती लोकसाहित्य की जीवंत पहचान हैं।


